हिन्दू धर्म के एकमात्र धर्मग्रंथ है वेद। वेदों के चार भाग हैं- ऋग, यजु, साम और अथर्व। वेदों के सार को वेदांत या उपनिषद कहते हैं और उपनिषदों का सार या निचोड़ गीता में हैं। गीता हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र धर्मग्रंथ है। महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है।
- यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है।
- भगवदगीता के लेखक महर्षि वेदव्यास हैं, जिनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास था
- गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।
- गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।
- कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया, गीता में भी 18 अध्याय हैं।
- गीता शब्द का अर्थ है गीत और भगवद शब्द का अर्थ है भगवान, अक्सर भगवद गीता को भगवान का गीत कहा जाता है।
गीता के अट्ठारह (18) अध्यायों के नाम निम्नलिखित हैँ। अध्यायों का सार जानने के लिए उस अध्याय पर क्लिक करें –
- प्रथम अध्याय – अर्जुन विषाद योग
- द्वितीयम् अध्याय – साँख्य योग
- तृतीयम् अध्याय – कर्म योग
- चतुर्थम् अध्याय – ज्ञान – कर्म सन्यास योग
- पञ्चम् अध्याय – सन्यास योग
- षष्ठम् अध्याय – ध्यान योग
- सप्तम् अध्याय – ज्ञान – विज्ञान योग
- अष्टम् अध्याय – अक्षर – ब्रह्म योग
- नवम् अध्याय – राज विद्या – राजगुह्य योग
- दशम् अध्याय – विभूति योग
- एकादशम् अध्याय – विश्वरूप – दर्शन योग
- द्वादशम् अध्याय – भक्ति योग
- त्रयोदशम अध्याय – क्षेत्र – क्षेत्रज्ञ विभाग योग
- चतुर्दशम् अध्याय – गुण त्रय विभाग योग
- पञ्चदशम् अध्याय – पुरोषोत्तम योग
- षोडषम् अध्याय – दैवासुर सम्पद्विभाग योग
- सप्तदशम् अध्याय – श्रद्धा त्रय विभाग योग
- अष्टदशम् अध्याय – मोक्ष – सन्यास योग